205. तू अपनी एक ठोकर में सौ इंक़लाब लेकर चल!

Three Day Quote Challenge

हम वो हैं जो हमें हमारी सोच ने बनाया है, इसलिए इस बात का धयान रखिए कि आप क्या सोचते हैं. शब्द गौण हैं| विचार रहते हैं, वे दूर तक यात्रा करते हैं – स्वामी विवेकानंद

 

थ्री डे चैलेंज के अंतर्गत ब्लॉग पोस्ट लिखने का आज दूसरा दिन है। शुरू में कुछ बातें दोहराऊंगा-

  1. मुझे साथी ब्लॉगर अनामिका जी ने Three Day Quote Challenge के लिए नामित किया है, मैं अनामिका जी का आभारी हूँ और यह चुनौती स्वीकार करता हूँ। अनामिका जी बहुत सुंदर ब्लॉग लिखती हैं, जिनको https://anamikaisblogging.wordpress.com पर देखा जा सकता है। मैं चाहूंगा कि मेरे साथ जुड़े लोग, अनामिका जी के ब्लॉग्स का भी आनंद लें।

Three Day Quote Challenge के अंतर्गत मुझे तीन दिन तक, प्रतिदिन एक उक्ति/उद्धरण प्रस्तुत करने हैं और यह बताना है कि मुझे वह उद्धरण क्यों पसंद है। आज मेरे इस चुनौती पर अमल करने का दूसरा दिन है।

  1. मेरा आज का उद्धरण जैसा कि मैंने ऊपर बताया, इस प्रकार है- हम वो हैं जो हमें हमारी सोच ने बनाया है, इसलिए इस बात का ध्यान रखिए कि आप क्या सोचते हैं। शब्द गौण हैं, विचार रहते हैं, वे दूर तक यात्रा करते हैं – स्वामी विवेकानंद

यह विचार स्वामी विवेकानंद जी ने शिकागो में ‘विश्व धर्म सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए व्यक्त किए थे। असल में पिछला उद्धरण भी इससे जुड़ जाता है, क्योंकि जैसी हमारी सोच होगी, वैसे ही हमारे विचार होंगे और वैसे ही सपने होंगे।

हम अपनी वाक्पटुता से, झूठी बातें करके लोगों को भ्रमित कर सकते हैं, लेकिन समय के साथ हमारी सोच, हमारी सच्चाई लोगों के सामने आ जाती है। हमारे पूर्व प्रधानमंत्री- श्री अटल बिहारी वाजपेयी अक्सर विचारों की और साधनों की पवित्रता पर बल देते थे।

सही सोच को लेकर यह भी कहा जाता है कि जैसा सोचोगे, वैसे या वही बन जाओगे। यह भी कहते हैं कि हमारे कुछ भी बन पाने में जो सबसे बड़ी बाधा है, वह है हमारे सोच का सीमित होना। इसीलिए यह आवश्यक है कि हम अपनी सोच को सकारात्मक रखें और सीमाओं में न बांधें।

अपनी आदत के अनुसार मुझे एक गीत की पंक्तियां याद आ गई हैं-

चल आफताब लेकर चल, चल माहताब लेकर चल,
तू अपनी एक ठोकर में सौ इंक़लाब लेकर चल।

आज का विचार यही कि हम आशावादी रहें, अपनी सोच को सकारात्मक और उद्देश्यों को पवित्र रखें, तब कोई बाधा हमारा रास्ता नहीं रोक पाएगी।

  1. ‘अपनी पसंद का उद्धरण देने के अलावा मुझे प्रतिदिन अपने कुछ साथी ब्लॉगर्स को भी यह चुनौती स्वीकार करने के लिए नामित करना है। मैं यह मानता हूँ कि चुनौती स्वयं स्वीकार की जाए तो बेहतर है। इसलिए मैं अनुरोध करना चाहूंगा कि मेरे जो भी साथी इस चुनौती को स्वीकार करना चाहें, वे इसकी सूचना देते हुए चुनौती के अनुसार लगातार अपने तीन ब्लॉग, अपने प्रिय क्वोट/उद्धरण प्रस्तुत करते हुए और यह बताते हुए प्रस्तुत करें कि ये उद्धरण उनको क्यों प्रिय हैं।

मेरा आज का ब्लॉग यहीं संपन्न होता है, कल मैं तीसरे और अंतिम उद्धरण के साथ आपसे चर्चा करूंगा।

नमस्कार।

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