214. लंदन फिर एक बार!

स्कॉटलैंड की तीन दिन की यात्रा के बाद वापस लंदन लौट आए, हाँ एक बात है- ‘स्कॉटलैंड यार्ड’, जिसे बहुत बार फिल्मों में देखा और सुना, वो कहाँ है, न किसी ने पूछा और न बताया! खैर एक महीने के लंदन प्रवास में से आधा पूरा हो गया है। रोज जब सैर पर जाता हूँ तो वे ही गोरे दिखाई देते हैं, जिन्होंने लंबे समय तक हम पर राज किया था।
जैसा मैंने पहले बताया था, एशियाई मूल के लोग भी बड़ी संख्या में यहाँ हैं और कुछ खास इलाकों में अधिक बसे हैं।

एक बात जो शुरू में अजीब लगी थी, अब आदत पड़ गई है, सुबह जितनी जल्दी आंख खुल जाए सूरज की रोशनी दिखाई देती है और रात में साढ़े नौ-दस बजे तक रहती है। आजकल गर्मी और डे लाइट सेविंग के समय यह हालत है, जबकि घड़ी का समय भी एक घंटा आगे कर दिया जाता है ताकि बिजली की बचत की जा सके।

आजकल जहाँ लगभग 18 घंटे दिन की रोशनी रहती है वहीं सर्दियों में इसका उल्टा हो जाता है, और शाम 3 बजे ही अंधेरा हो जाता है।

जैसे भारत के अलग-अलग नगरों में स्थानों के अलग तरह के नाम होते हैं, जैसे पुरानी दिल्ली में- कटरा, हाता, छत्ता आदि, मंडी, बाग आदि भी बहुत से स्थानों में शामिल होते हैं, हैदराबाद में पेठ होते हैं, इंग्लैंड में जो नाम सबसे ज्यादा सुनने को मिला अभी तक, वह है- ‘व्हार्फ’, जैसे पास में ही ट्यूब स्टेशन है- ‘कैनरी व्हार्फ’। ‘व्हार्फ’ होता है नदी किनारे विकसित किया गया वह, सामान्यतः ढलान वाला प्लेटफार्म, जिसके माध्यम से यात्री और सामान आसानी से बाहर आ सकें। और यहाँ नगर को एक सिरे से दूसरे तक जोड़ती, बीच में बहती थेम्स नदी है, तो इस तरह ‘व्हार्फ’ भी होंगे ही।

जैसे मुम्बई में नगर के बीचों-बीच दो रेलवे लाइनें हैं, जो मुम्बई की लाइफ-लाइन कहलाती हैं, उसी तरह लंदन में नगर के बीच से बहती ‘थेम्स’ नदी, मुझे लगता है कि सामान और यात्रियों के यातायात में इसकी काफी बड़ी भूमिका है।

भारत में जो लकड़ी की बॉडी वाले ट्रक दिखाई देते हैं, वे यहाँ नहीं दिखे, कुछ बड़े बंद ट्रक तो हैं, इसके अलावा कार के पीछे ट्रॉली जोड़कर भी सामान का यातायात होता है और नदी के मार्ग से भी जहाँ तक संभव है।

जैसा मैंने पहले बताया था यहाँ हमारे घर के पीछे ही थेम्स नदी बहती है, दिन भर जहाँ हम यात्री नौकाओं को देखते हैं, वहीं ऐसी नौकाएं भी देखते हैं, जिनके पीछे एक बड़ा कंटेनर जोड़कर, उसके माध्यम से, सामान्य ट्रक से शायद ज्यादा सामान ढ़ोया जाता है।

आज बस ऐसे ही कुछ ऑब्ज़र्वेशन लंदन नगर के बारे में देने का मन हुआ, आगे जो कुछ बताने लायक लगेगा, वो भी लिखूंगा।

नमस्कार।


2 responses to “214. लंदन फिर एक बार!”

  1. good article

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    1. shri.krishna.sharma avatar
      shri.krishna.sharma

      Thanks Ji.

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