154. रोशनी हो न सकी, दिल भी जलाया मैंने!

लीजिए प्रस्तुत है एक और पुरानी ब्लॉग पोस्ट।

आज मुकेश जी का गाया एक गीत याद आ रहा है, यह गीत उन्होंने फिल्म- ‘दिल भी तेरा, हम भी तेरे’ में धर्मेंद्र जी के लिए गाया है, संगीतकार हैं- कल्याणजी आनंदजी, जो उन संगीतकारों में से एक हैं, जिन्होंने मुकेश जी की अनूठी आवाज़ का भरपूर इस्तेमाल किया है। इसके गीतकार हैं- शमीम जयपुरी।

मैं कह नहीं सकता कि इस गीत में क्या कोई अनूठी बात है, लेकिन मुकेश जी की आवाज़ पाकर यह गीत जैसे अमर हो गया है। और जो इसके बोल हैं, उनके अनुरूप, शुरुआत में ऐसा लगता है कि जैसे आवाज़ जंगल में गूंज रही हो,तनहाई जैसे असीम लगती है।

अब ज्यादा कुछ नहीं बोलते हुए, इस गीत के बोल शेयर कर लेता हूँ, मौका लगे तो इस गीत को एक बार फिर मुकेश जी की आवाज़ में सुनकर, यादें ताज़ा कर लीजिए-

मुझको इस रात की तनहाई में, आवाज़ न दो,
जिसकी आवाज़ रुला दे, मुझे वो साज़ न दो।

रोशनी हो न सकी दिल भी जलाया मैंने,
तुमको भूला ही नहीं लाख भुलाया मैंने,
मैं परेशां हूँ, मुझे और परेशां न करो।
आवाज़ न दो॥

इस क़दर जल्द किया मुझसे किनारा तुमने,
कोई भटकेगा अकेला ये न सोचा तुमने,
छुप गए हो तो मुझे याद भी आया न करो।
आवाज़ न दो।।

आज के लिए इतना ही।

नमस्कार।

9 responses to “154. रोशनी हो न सकी, दिल भी जलाया मैंने!”

  1. this is one of my favourite song. I used to collect CD’s of Lata, Rafi,Kishor songs. Still have a big collection.

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    1. Thanks a lot.

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  2. Loved the lyrics, will search in YouTube. Thanks for sharing.

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    1. Thanks a lot.

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  3. One of my favorites ❤️

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  4. Thanks for sharing such wonderful gems !! Your write up is beautiful…

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    1. Thanks a lot.

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  6. Thanks, Yes that was the time of great songs.

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