न दिल चाहता है, न हम चाहते हैं!

आज फिर से मुझे अपने प्रिय गायक मुकेश जी का गाया एक गीत याद आ रहा है। श्री राहिल गोरखपुरी जी का लिखा यह गीत, 1959 में बनी फिल्म- ‘मैंने जीना सीख लिया’ के लिए मुकेश जी ने रोशन जी के संगीत निर्देशन में गाया था।

जैसा कि होता है, पहले मैं इस गीत का अंग्रेजी अनुवाद प्रस्तुत करने का प्रयास करूंगा और उसके बाद यह प्यारा सा गीत मूल रूप में प्रस्तुत करूंगा।

वैसे मैं जानता हूँ कि मेरे लगभग सभी पाठक हिंदी में इस गीत को पढ़कर समझ सकते हैं और अंग्रेजी में इन भावों को व्यक्त करना लगभग असंभव है।

तो पहले प्रस्तुत मेरे द्वारा किया गया इस गीत का अंग्रेजी अनुवाद-

That I should forget your love like this,
is neither desired by my heart, nor by me!
Something that was true till now
to turn it into a story,
is neither desired by my heart, nor by me!

That innocent face, these unblemished eyes,
would always keep living in my heart,
with the desire that did not get fulfilled
I would find solace only in getting ruined,
Getting my ruined life again recovered
is neither desired by my heart, nor by me!

I am unable to understand why
my heart now has no longing for any sort of happiness,
I also do not know why I have fallen in love-
with the tears that keep appearing due to
the sadness caused by your going away,
now smiling again in whatever conditions-
is neither desired by my heart, nor by me!

 

और अब प्रस्तुत है यह गीत अपने मूल रूप में, जिसे मुकेश जी ने गाकर अमर बना दिया है-

 

तेरे प्यार को इस तरह से भुलाना
न दिल चाहता है न हम चाहते हैं,
जो सच था उसे इक फ़साना बनाना
न दिल चाहता है, न हम चाहते हैैं ।

ये मासूम सूरत ये भोली निगाहें
रहेंगी सदा दिल में आबाद होकर
न पूरी हुई जो उसी आरज़ू में
मिलेगा हमें चैन बरबाद हो कर
कि उजड़ी हुई ज़िन्दगी को बसाना
न दिल चाहता है, न हम चाहते हैैं ।

समझ में न आया कि हर इक ख़ुशी से
ये दिल आज बेज़ार क्यों हो गया है
तेरे ग़म में बहते हुए आँसुओं से
न जाने हमें प्यार क्यों हो गया है
कि भूले से भी अब कभी मुस्कराना
न दिल चाहता है ।

आज के लिए इतना ही, नमस्कार।


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