आज भी मैं भारत के नोबल पुरस्कार कवि गुरुदेव रवींद्र नाथ ठाकुर की एक कविता का अनुवाद प्रस्तुत कर रहा हूँ। यह उनकी अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित एक कविता का भावानुवाद है, जिसे अनुवाद के बाद मूल रूप में प्रस्तुत किया गया है। लीजिए पहले प्रस्तुत है मेरे द्वारा किया गया उनकी कविता ‘व्हेन टू सिस्टर्स गो टू फेच वॉटर’ का भावानुवाद-
गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर की कविता
जब दो बहनें (कुएं से) पानी भरने जाती हैं
जब वे दो बहनें पानी भरने जाती हैं,
वे इस स्थान तक पहुंचती हैं और वे मुस्कुराती हैं।
उन्हें अवश्य ही उस व्यक्ति के बारे में पता होगा,
जो उस समय पेड़ों के पीछे खड़ा होता है,
जब भी वे पानी भरने जाती हैं।
दोनों बहनें एक-दूसरे से फुसफुसाकर बात करती हैं,
जब वे इस स्थान से आगे बढ़ती हैं।
उन्होंने अवश्य उस व्यक्ति के रहस्य का अनुमान कर लिया होगा,
जो तब पेड़ों के पीछे खड़ा होता है, जब भी वे पानी भरने जाती हैं।
जैसे ही वे उस स्थान पर पहुंचती हैं,
उनके मटकों में अचानक झटका लगता है,
और कुछ पानी छलक जाता है।
उन्हें अवश्य यह पता हो गया है कि हमेशा उनके वहाँ से गुजरने के समय,
पेड़ों के पीछे खड़े व्यक्ति का-
दिल तेजी से धड़क रहा होता है।
दोनो बहनें जब इस स्थान पर पहुंचती हैं,
तब एक-दूसरे को देखती है और मुस्कुराती हैं।
उनके तेजी से बढ़ते कदमों में एक हास होता है,
जिससे किसी व्यक्ति के मन में भ्रम उत्पन्न होता है;
वह जो वहाँ पेड़ों के पीछे खड़ा होता है;
जब भी वे पानी भरने जाती हैं।
और अब वह अंग्रेजी कविता, जिसके आधार मैं भावानुवाद प्रस्तुत कर रहा हूँ-
When The Two Sisters Go To Fetch Water
Rabindranath Tagore
WHEN the two sisters go to fetch water,
they come to this spot and they smile.
They must be aware of somebody who stands
behind the trees whenever they go to fetch water.
The two sisters whisper to each other when they pass this spot.
They must have guessed the secret of that somebody who stands behind the trees whenever they go to fetch water.
Their pitchers lurch suddenly,
and water spills when they reach this spot.
They must have found out that
somebody’s heart is beating
who stands behind the trees whenever they go to fetch water.
The two sisters glance at each other
when they come to this spot,
and they smile.
There is a laughter in their swift-stepping feet,
which makes confusion in somebody’s mind
who stands behind the trees
whenever they go to fetch water.
आज के लिए इतना ही,
नमस्कार।
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