कहते तो हैं भले की वो लेकिन बुरी तरह!

आज गुलाम अली साहब का गाई एक बेहद खूबसूरत गज़ल के कुछ शेर शेयर कर रहा हूँ। यह गज़ल उर्दू के मशहूर शायर ‘मोमिन’ जी की लिखी हुई है और गुलाम अली साहब ने इसे बड़ी खूबसूरती के साथ गाया है।

रोया करेंगे आप भी पहरों इसी तरह,
अटका कहीं जो आप का दिल भी मेरी तरह।

मर चुक कहीं कि तू ग़मे-हिज़्राँ से छूट जाये
कहते तो हैं भले की वो लेकिन बुरी तरह।

ना ताब हिज्र में है ना आराम वस्ल में,
कमबख़्त दिल को चैन नही है किसी तरह।

ना जाए वाँ बने है ना बिन जाए चैन है,
क्या कीजिए हमें तो है मुश्किल सभी तरह।

लगती है गालियाँ भी तेरे मुँह से क्या भली,
क़ुर्बान तेरे, फिर मुझे कह ले इसी तरह।

आता नहीं है वो तो किसी ढब से दाव में
बनती नहीं है मिलने की उसके कोई तरह।

माशूक़ और भी हैं बता दे जहान में
करता है कौन ज़ुल्म किसी पर तेरी तरह।

हूँ जाँ-बलब बुतां-ए-सितमगर के हाथ से,
क्या सब जहाँ में जीते हैं “मोमिन” इसी तरह।

आज के लिए इतना ही,
नमस्कार।


6 responses to “कहते तो हैं भले की वो लेकिन बुरी तरह!”

    1. Thank you very much for the appreciation.

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  1. Very nice ! Thanks for sharing.

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    1. Thanks a lot.

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