अपने हाथों में हवाओं को गरिफ्तार न कर!

सदाबहार गायक मुकेश जी के गाये, प्रेमगीतों के क्रम में आज जो गीत प्रस्तुत कर रहा हूँ, वह अपने आप में अलग तरह का गीत है। ऐसी परिस्थिति का गीत जबकि सब कुछ प्रेम के विरुद्ध होता है।


आज का गीत 1968 में रिलीज हुई फिल्म- ‘हिमालय की गोद में’ के लिए कल्याणजी आनंदजी के संगीत निर्देशन में, मुकेश जी ने अपने अनोखे अंदाज में गाया था। यह गीत मनोज कुमार जी पर फिल्माया गया था। वैसे तो मुकेश जी ने लगभग सभी नायकों के लिए गीत गाये हैं, लेकिन राज कपूर साहब के बाद, मनोज कुमार जी दूसरे ऐसे प्रमुख अभिनेता हैं, जिनके लिए मुकेश जी ने सबसे अधिक गीत गाये हैं।
क़मर जलालाबादी जी का लिखा यह गीत अत्यंत प्रभावशाली बन पड़ा है और बहुत सुंदर तरीके से फिल्माया गया है –

मैं तो एक ख्वाब हूँ
इस ख्वाब से तू प्यार न कर,
प्यार हो जाए तो
फिर प्यार का इजहार न कर।

ये हवाएं यूं ही, चुपचाप चली जायेंगी,
लौट के फिर कभी गुलशन में नहीं आयेंगी,
अपने हाथों में हवाओं को गरिफ्तार न कर।
मैं तो एक ख्वाब हूँ…

तेरे दिल में है मोहब्बत के भड़कते शोले,
अपने सीने में छुपा ले ये धधकते शोले,
इस तरह प्यार को रुसवा सर-ए-बाज़ार न कर।
मैं तो एक ख्वाब हूँ…

शाख से टूट के गुंचे भी कहीं खिलते हैं,
रात और दिन भी ज़माने में कहीं मिलते हैं,
भूल जा, जाने दे, तकदीर से तकरार न कर।
मैं तो एक ख्वाब हूँ…

आज के लिए इतना ही,
नमस्कार।


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