समय पर कविता- रवींद्रनाथ ठाकुर

आज, मैं फिर से भारत के नोबल पुरस्कार विजेता कवि गुरुदेव रवींद्र नाथ ठाकुर की एक और कविता का अनुवाद प्रस्तुत कर रहा हूँ। यह उनकी अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित जिस कविता का भावानुवाद है, उसे अनुवाद के बाद प्रस्तुत किया गया है। मैं अनुवाद के लिए अंग्रेजी में मूल कविताएं सामान्यतः ऑनलाइन उपलब्ध काव्य संकलन- ‘PoemHunter.com’ से लेता हूँ। लीजिए पहले प्रस्तुत है मेरे द्वारा किया गया उनकी कविता ‘Poem On Time’ का भावानुवाद-

गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर की कविता

समय पर कविता! 

 

तितली महीनों का नहीं, क्षणों का हिसाब रखती है,
और उसके पास पर्याप्त समय होता है।
समय- परिवर्तन की संपदा है,
परंतु घड़ी- अपनी निरर्थक तुकबंदी में, इसे संपदा नहीं, केवल परिवर्तन बना देती है।
ऐसा करो कि आपका जीवन, समय के किनारे पर धीरे से ऐसे नृत्य करे,
जैसे ओस की बूंद, किसी पत्ती की नोंक पर करती है।

 

-रवींद्रनाथ ठाकुर

 

और अब वह अंग्रेजी कविता, जिसके आधार मैं भावानुवाद प्रस्तुत कर रहा हूँ-

Poems On Time!

The butterfly counts not months but moments,
and has time enough.
Time is a wealth of change,
but the clock in its parody makes it mere change and no wealth.
Let your life lightly dance on the edges of Time
like dew on the tip of a leaf.

Rabindranath Tagore

आज के लिए इतना ही,
नमस्कार।

************

Leave a comment